Tuesday, 23 February 2016

माता महागौरी

           परमेश्वरी दुर्गा देवी के अष्टम स्वरूप का नाम महागौरी है।नवरात्र मे अष्टमी तिथि को इन्हीं का पूजन होता है।
            एक बार भगवान शिव जी तथा माता पार्वती जी मन्दराचल पर्वत पर निवास कर रहे थे।एक दिन शिव जी ने मुसकराते हुए पार्वती जी को काली कह दिया।इसे सुनते ही पार्वती जी बहुत अधिक कुपित हो गयीं।उन्होंने प्रतिज्ञा किया कि मै इस श्याम वर्ण शरीर को त्यागकर गौर वर्ण ग्रहण करूँगी अन्यथा स्वयं ही मिट जाऊँगी।मै अपनी तपस्या के द्वारा भगवान ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर गौर वर्ण प्राप्त करूँगी।
           यद्यपि शिव जी ने उन्हें समझाने का प्रयास किया किन्तु वे अपनी प्रतिज्ञा से विमुख नहीं हुईं।वे हिमालय पर्वत पर आकर कठोर तप करने लगीं।कुछ दिनों बाद भगवान ब्रह्मा जी प्रकट हुए।उसी समय पार्वती जी ने अपनी काली त्वचा के आवरण को उतार कर गौरवर्ण हो गयीं।उसी समय से वे महागौरी के नाम से प्रसिद्ध हो गयीं।
          नारद पाञ्चरात्र के अनुसार पार्वती के रूप मे अवतरित होकर शिव जी को पति रूप मे प्रेप्त करने के लिए इन्होने कठोर तप किया।इससे उनका शरीर धूल धूप आदि से मलिन हो गया था।बाद मे शिव जी ने इनके शरीर को गंगा जल से धुल दिया तब इनका शरीर विद्युत सदृश अत्यन्त गौर एवं कान्तिमान हो गया।इसीलिए इन्हें महागौरी कहा जाता है।
           महागौरी जी का शरीर शंख ; चन्द्र एवं कुन्द के समान अत्यन्त गौर वर्ण का है।इनके वस्त्राभूषण भी श्वेतवर्णीय हैं।इनके तीन नेत्र एवं चार भुजायें हैं।ऊपर वाले दक्षिण हस्त मे अभयमुद्रा एवं नीचे वाले मे त्रिशूल सुशोभित है।इसी प्रकार ऊपर वाले वाम हस्त मे डमरू तथा नीचे वाले मे वरमुद्रा सुशोभित है।ये वृषभवाहिनी ; सुवासिनी एवं शान्तमुद्रा वाली हैं।
           ये अत्यन्त दयालु ; भक्तवत्सला एवं अमोघ फलदायिनी हैं।इनकी उपासना से मनुष्य के सभी कलुष मिट जाते हैं।जन्म-जन्मान्तर के रोग ; शोक ; पाप ; ताप आदि पूर्ण रूपेण नष्ट हो जाते हैं।उसे सभी अलौकिक शक्तियों की प्राप्ति हो जाती है।इस प्रकार माता जी सर्वतोभावेन अनिष्ट-निवारिणी एवं मंगलकारिणी हैं।अतः सर्वविध कल्याण की प्राप्ति हेतु इनका ध्यान इस प्रकार करना चाहिए ---

   श्वेतहस्तिसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
   महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

     ----- अर्थात् जो श्वेत हस्ति पर सवार होती हैं ; श्वेत वस्त्र धारण करती हैं ; सदा पवित्र रहती हैं तथा महादेव को सदैव आनन्द प्रदान करती हैं ; वे माता महागौरी जी मेरे लिए शुभदायिनी हों।

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