वारुणी योग चैत्र कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को होता है।यह तीन प्रकार का होता है।जब चैत्र कृष्ण त्रयोदशी को वारुण अर्थात् शतभिषा नक्षत्र हो तो वारुणी योग होता है।यदि इसी के साथ शनिवार भी हो तो महावारुणी योग होता है।यदि इनके साथ शुभ योग भी हो तो महामहा वारुणी योग होता है।
इस दिन गंगा स्नान करने से करोड़ो सूर्यग्रहण के समय किये गये स्नान के समान पुण्य होता है।वारुणी योग मे काशी मे गंगा और वरुणा नदी के संगम मे स्नान करने का विशेष महत्व है।इस योग मे पुण्य तभी तक माना जाता है ; जब तक तिथि ; नक्षत्र आदि का योग विद्यमान हो।
No comments:
Post a Comment