ब्रह्मा-पूजन का पर्व चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा को मनाया जाता है।
कथा --
------ अग्नि पुराण के अनुसार चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा ब्रह्मा जी की तिथि है।अतः भगवान अग्निदेव ने उक्त तिथि को ब्रह्मा-पूजन करने का निर्देश दिया है।
विधि --
------ व्रती सर्वप्रथम पूर्णिमा को उपवास करे।दूसरे दिन प्रतिपदा को स्नानादि से निवृत्त होकर उपवास पूर्वक ब्रह्मा जी की स्वर्ण निर्मित प्रतिमा स्थापित करे।उसके दक्षिण हस्त मे स्फटिकाक्ष की माला और स्रुवा हो।वाम हस्त मे स्रुक एवं कमण्डलु हो।लम्बी दाढ़ी एवं सिर पर जटा हो।पूजन मे " ऊँ तत्सद् ब्रह्मणे नमः " अथवा गायत्री मंत्र का प्रयोग करना चाहिए।पूजनोपचार मे गन्धाक्षत आदि के साथ दुग्ध-स्नान आवश्यक है।अन्त मे " ब्रह्मा प्रीयताम् " कहना चाहिए।इस व्रत को एक वर्ष तक करने का विधान है।
माहात्म्य ---
---------- यह व्रत सम्पूर्ण मनोरथों को पूर्ण करने वाला है।इसके प्रभाव से मनुष्य निष्पाप होकर स्वर्ग मे उत्तम भोग प्राप्त करता है।साथ ही जन्मान्तर मे ब्राह्मण कुल मे जन्म लेता है।
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