देवपूजन मे दीपदान का पर्याप्त महत्त्व है।परन्तु कुछ विशिष्ट अवसरों पर केवल दीपदान करने से ही महनीय पुण्य की प्राप्ति होती है।अतः संक्रान्ति ; सूर्यग्रहण ; चन्द्रग्रहण ; वैधृतियोग ; व्यतिपात् योग ; उत्तरायण ; दक्षिणायन ; विषुव ( मेष तुला की संक्रान्ति ) ; एकादशी ; शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी ; तिथिक्षय ; सप्तमी और अष्टमी के दिन व्रती व्यक्ति पहले स्नान करे।फिर अपने आँगन के मध्य मे घृतकुम्भ और प्रज्ज्वलित दीपक भूमि को दान करे।इससे उसका शरीर प्रदीप्त एवं ओजस्वी हो जाता है।
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