Tuesday, 13 September 2016

कामनानुसार देवोपासना -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

           सामान्य रूप से अपने इष्टदेव की आराधना-उपासना तो नित्य करनी ही  चाहिए।परन्तु किसी विशेष कामना की पूर्ति हेतु विभिन्न देवताओं की उपासना का विधान है।यद्यपि यह सम्पूर्ण देव समुदाय उस परब्रह्म परमात्मा का ही स्वरूप है।किन्तु प्रत्येक देवता को पृथक्-पृथक् कार्यों का विशेषाधिकार प्राप्त है।इसलिए व्यक्ति को अपनी कामना के अनुसार देवोपासना करनी चाहिए।
          ब्रह्मतेज प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्ति को देवगुरु वृहस्पति की उपासना करनी चाहिए।इन्द्रियों की विशेष शक्ति की कामना वाले व्यक्ति को देवराज इन्द्र की उपासना करनी चाहिए।जिसे सन्तान की लालसा हो उसके लिए प्रजापतियों की उपासना विशेष फलप्रद होती है।लक्ष्मी चाहने वाले को मायादेवी की ; तेजाकाँक्षी को अग्नि की धनार्थी को वसुओं की ; वीरता चाहने वाले को रुद्रों की ; अन्नार्थी को अदिति की ; स्वर्गाकाँक्षी को अदिति-पुत्र देवताओं की ; राज्याभिलाषी को विश्वेदेवों की और प्रजा को अनुकूल बनाने के इच्छुक व्यक्ति को साध्य देवताओं की आराधना करनी चाहिए।
         इसी प्रकार दीर्घायु चाहने वाले को अश्विनी कुमारों का ; पुष्ट्यार्थी को पृथ्वी का ; प्रतिष्ठा की आकाँक्षा रखने वाले को लोकमाता पृथ्वी और आकाश का यजन करना चाहिए।सौन्दर्याकाँक्षी को गन्धर्वों की ; पत्नी-प्राप्ति के लिए उर्वसी की ; सबका स्वामी बनने के लिए ब्रह्मा की ; यशेच्छुक को यज्ञपुरुष की ; कोशार्थी को वरुण की ; विद्यार्थी को भगवान शंकर की ; दाम्पत्य-प्रीति के लिए पार्वती की ; धर्मोपार्जन के लिए विष्णु की ; वंश-रक्षा के लिए पितरों की ; बाधाओं से बचने के लिए यक्षों की और बलवान होने के लिए मरुद्गणों की उपासना करनी चाहिए।राज्याकाँक्षी पुरुष को मन्वन्तराधिपों की ; अभिचार के लिए  नर्ऋति की ; भोग-प्राप्ति के लिए चन्द्रमा की और निष्कामता की प्राप्ति के लिए परम पुरुष नारायण की आराधना करनी चाहिए।
           यद्यपि विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए विभिन्न देवताओं की उपासना का विधान है।फिर भी अधिक भ्रमजाल मे न पड़कर एकमात्र भगवान् पुरुषोत्तम की आराधना करना अधिक श्रेयस्कर है।व्यक्ति चाहे निष्काम भाव से अथवा सकाम भाव से उनकी आराधना करे तो कल्याण होना सुनिश्चित है।अतः सभी प्रकार से भ्रम से दूर होकर तीव्र भक्तियोग के द्वारा केवल भगवान पुरुषोत्तम की ही आराधना करनी चाहिए।इसी से सभी कामनाओं की पूर्ति हो जाती है।

No comments:

Post a Comment