प्राणी की मूल प्रवृत्तियों मे क्षुधा या भूख का महत्त्व पूर्ण स्थान है।शरीर की पुष्टि के लिए आहार आवश्यक है।प्राणी आहार तभी लेता है ; जब उसे भूख लगती है।इस प्रकार शरीर संरक्षण एवं संवर्धन के लिए क्षुधा बहुत आवश्यक है।यदि क्षुधा क्षीण हो जाय तो आहार ग्रहण कर पाना कठिन है।आहार लिए बिना शरीर का अस्तित्व ही संकट मे पड़ जायेगा।परन्तु माता भगवती अत्यन्त दयालु हैं।उन्हें अपनी सन्तानों की शारीरिक सुरक्षा की चिन्ता सदैव बनी रहती है।इसीलिए वे समस्त प्राणियों मे क्षुधा के रूप मे स्थित होकर उनके शरीर संरक्षण मे सहयोग करती रहती हैं।अतः ऐसी ममतामयी माँ को बारंबार नमस्कार है ---
या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
Thursday, 29 September 2016
या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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