भगवान विष्णु के चौबीस अवतारों मे भगवान बुद्ध की गणना इक्कीसवें स्थान पर की गयी है।श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार उनका जन्म कलियुग आ जाने पर मगध देश ( बिहार ) मे अजन के पुत्र रूप मे देवद्वेषी दैत्यों को मोहित करने के लिए होगा ---
ततः कलौ सम्प्रवृत्ते सम्मोहाय सुरद्विषाम्।
बुद्धो नाम्नाजनसुतः कीकटेषु भविष्यति।।
अग्निपुराण मे बुद्धदेव की प्रतिमा का लक्षण बताते हुए कहा गया है कि ये ऊँचे पद्मासन पर बैठे हैं।उनके एक हाथ मे वरद और दूसरे हाथ मे अभय मुद्रा है।वे शान्तस्वरूप हैं।उनके शरीर का रंग गोरा और कान लम्बे हैं।वे सुन्दर पीत वस्त्र से आवृत्त हैं।परन्तु इस समय बौद्ध धर्म के प्रवर्तक जिन भगवान बुद्ध की चर्चा की जाती है ; उनका जन्म 563 ईसा पूर्व मे वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को लुम्बिनी वन मे हुआ था।उनके पिता का नाम शुद्धोधन एवं माता का नाम महामाया था।
इस प्रकार पुराण-वर्णित बुद्ध और बौद्ध-धर्म-प्रचारक गौतम बुद्ध के जन्मस्थान और पिता के नाम मे अन्तर पाया जाता है।अतः यह शोध का विषय है कि ये दोनों बुद्ध एक ही हैं अथवा भिन्न-भिन्न।
Sunday, 18 September 2016
बुद्धावतार -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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