अब तक एकादशी के जो भेद बताये गये हैं ; वे तिथि पर आधारित थे।जया आदि चार भेद नक्षत्र एवं तिथि के योग पर आधारित होते हैं।किसी मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जब पुनर्वसु नक्षत्र होता है ; तब उसे जया एकादशी कहा जाता है।
कथा ---- इस एकादशी का वर्णन भगवान महादेव ने देवर्षि नारद से किया था।स्वयं जगदीश्वर शिव जी के मुखारविन्द से निःसृत होने के कारण इसका विशेष महत्त्व है।
विधि --- प्रायः सभी एकादशियों की विधि एक समान होती है।इसमे भी भगवान विष्णु जी का पूजन किया जाता है।
माहात्म्य ----- विशिष्ट नक्षत्र एवं तिथि के योग से बनने वाली यह एकादशी अन्य सामान्य एकादशियों की अपेक्षा अधिक महत्त्व पूर्ण होती है।यह प्रबल पापनाशक एवं परम पुण्यदायिनी है।इस दिन व्रत आदि जो भी पुण्यकर्म किये जाते हैं ; उनका अनन्त पुण्यफल प्राप्त होता है।इसलिए इस एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए।
Saturday, 3 September 2016
जया एकादशी -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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