महाभारत आदि समस्त ग्रन्थों मे बताया गया है कि द्रौपदी के पाँच पति थे ; जो युधिष्ठिर ; भीम ; अर्जुन ; नकुल और सहदेव के नाम से प्रसिद्ध हैं।यहाँ प्रश्न यह उठता है कि उस परम धार्मिक युग मे जब भगवान श्री कृष्ण भी विद्यमान थे ; तब ऐसी विचित्र घटना क्यों हुई ? इसका यथार्थ उत्तर मार्कण्डेय पुराण मे दिया गया है।
एक बार महर्षि वेदव्यास के प्रिय शिष्य महर्षि जैमिनि ने महामुनि मार्कण्डेय जी से पूछा -- भगवन् ! द्रुपद कुमारी कृष्णा ( द्रौपदी ) अकेली ही पाँच पाण्डवों की महारानी क्यों हुई ? उस समय महामुनि ने कहा कि मै इस समय बहुत व्यस्त हूँ।अतः तुम विन्ध्य पर्वत की कन्दरा मे निवास करने वाले द्रोण नामक पक्षी के पुत्रों के पास जाओ।वही तुम्हारे प्रश्न का समुचित उत्तर देंगे।जैमिनि जी उन पक्षियों के पास गये और उनसे इसी प्रश्न को पूछा।उस समय उन पक्षियों ने बताया कि एक बार इन्द्र ने त्वष्टा प्रजापति के पुत्र की हत्या कर दी थी।उस समय इन्द्र को ब्रह्महत्या लगी और वे निस्तेज हो गये।उनका तेज धर्मराज के शरीर मे प्रविष्ट हो गया।
दूसरी बार इन्द्र ने सन्धि की शर्तों का उल्लंघन कर वृत्रासुर का वध किया ; जिससे उन्हें ब्रह्महत्या लगी।उस समय उनके शरीर से निःसृत तेज वायु देवता मे समा गया।एक बार इन्द्र ने महर्षि गौतम की पत्नी अहल्या का सतीत्व नष्ट किया ; तब उनका तेज उन्हें त्यागकर दोनों अश्विनी कुमारों के पास चला गया।कालान्तर मे अनेक दैत्य पृथ्वी पर राजाओं के रूप मे अवतरित हुए।उन्होंने सम्पूर्ण पृथ्वी पर पाप करना आरम्भ कर दिया।अतः पाप के भार से पीड़ित पृथ्वी मेरुपर्वत के शिखर पर देवताओं के पास गयी।उसने उनसे निवेदन किया कि मै दैत्य राजाओं के पापों के भार से दबी जा रही हूँ।अतः आप लोग कोई ऐसा उपाय करें ; जिससे मुझे शान्ति मिल सके।
उस समय सभी देवगण अपने-अपने तेज के अंश से पृथ्वी पर अवतार लेने लगे।इस सन्दर्भ मे इन्द्र के शरीर से जो तेज धर्मराज को प्राप्त हुआ था ; उसे धर्मराज ने कुन्ती के गर्भ मे स्थापित किया।उसी से महाराज युधिष्ठिर का जन्म हुआ।उसके बाद वायुदेवता ने इन्द्र से प्राप्त तेज को कुन्ती के गर्भ मे स्थापित किया।उससे भीम का जन्म हुआ।इन्द्र के आधे अंश से अर्जुन की उत्पत्ति हुई।बाद मे इन्द्र से प्राप्त तेज को अश्विनी कुमारों ने माद्री के गर्भ मे स्थापित किया ; जिससे नकुल और सहदेव उत्पन्न हुए।इस प्रकार देवराज इन्द्र ही पाँच पाण्डवों के रूप मे अवतरित हुए।उनकी पत्नी शची ( इन्द्राणी ) ही द्रौपदी के रूप मे यज्ञाग्नि से प्रकट हुई थीं। अतः कृष्णा ( द्रौपदी ) एकमात्र इन्द्र की ही पत्नी थीं और किसी की नहीं।
Saturday, 17 September 2016
द्रौपदी के पति एक या पाँच थे ? --- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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