Thursday, 22 September 2016

वेदव्यास का जन्म क्यों हुआ ? --- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

          संसार के प्रत्येक कार्य का कोई न कोई कारण अवश्य होता है।बिना कारण के कोई कार्य सम्भव ही नहीं है।इसी प्रकार भगवान विष्णु के जो चौबीस अवतार हुए हैं ; उनके भी कोई न कोई महनीय कारण थे।भगवान वराह का अवतार पृथ्वी को रसातल से निकालने के लिए और राजा पृथु का अवतार संसार मे राजा के आदर्श प्रस्तुत करने के लिए हुआ था।भगवान कूर्म का अवतार समुद्र-मन्थन द्वारा अमृत प्राप्त कराने के लिए और नृसिंह का अवतार हिरण्यकशिपु का अन्त कर प्रह्लाद की रक्षा करने के लिए हुआ था।इसी प्रकार राम का अवतार रावण आदि राक्षसों का संहार करने के लिए और कृष्ण का अवतार कंस आदि असंख्य दुष्टों का विनाश करने के लिए हुआ था।
            अतः स्पष्ट है कि प्रत्येक अवतार किसी न किसी विशिष्ट प्रयोजन की सिद्धि के लिए हुआ था।इसी प्रकार वेद व्यास का अवतार भी एक विशेष प्रयोजन के लिए हुआ है।श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार जब समय के फेर से लोगों की बौद्धिक क्षमता कम हो जाती है।उनकी आयु भी कम हो जाती है।उस समय भगवत्तत्त्व से परिपूर्ण वेदों की बात जनसामान्य समझ नहीं पाता है।तब उस वेद रूपी वृक्ष को विभिन्न शाखाओं के रूप मे विभाजित करने के लिए प्रत्येक कल्प मे सत्यवती के गर्भ से व्यास जी प्रकट होते हैं ---
   कालेन मीलितधियामवमृश्य नृणां
           स्तोकायुषां स्वनिगमो बत दूरपारः।
   आविर्हितस्त्वनुयुगं स हि सत्यवत्यां
           वेदद्रुमं विटपशो विभजिष्यति स्म।।
          महर्षि वेदव्यास जी पुराणों की रचना करते हैं और उनमे वेदों के गूढ़ातिगूढ़ तत्त्वों को सरल भाषा मे व्याख्यायित करते हैं।अतः उन पुराणों के माध्यम से जन सामान्य भी उन गूढ़ तत्त्वों को भी आसानी से समझ लेता है।इस प्रकार स्पष्ट है कि इसी विशेष प्रयोजन की सिद्धि के लिए ही महर्षि वेदव्यास का अवतार हुआ है।
          

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