Wednesday, 28 September 2016

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता --- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

          प्राणि-मात्र के लिए बुद्धि नितान्त आवश्यक है।बुद्धि के अभाव मे प्राणी का अस्तित्व ही खतरे मे पड़ सकता है।बुद्धिहीन प्राणी किसी भी प्रकार की क्रिया कर सकता है।वह क्रिया उसके लिए घातक स्थिति भी उत्पन्न कर सकती है।विशेषकर मानव-विकास मे बुद्धि की असीम महत्ता है।बुद्धि या सद् बुद्धि के द्वारा ही मनुष्य संरचनात्मक कार्यों मे प्रवृत्त होता है।बुद्धि के द्वारा ही उसके मस्तिष्क मे उत्तम एवं कल्याणकारी विचारों का प्रादुर्भाव होता है।
          वह जगदम्बा समस्त प्राणियों मे बुद्धि रूप से स्थित है।वे बुद्धिरूपिणी  मातेश्वरी ही मानव मात्र को सत्कर्मों मे प्रवृत्त करती हैं।उसके मस्तिष्क मे कल्याणकारी विचारों को उत्पन्न कर सन्मार्ग की ओर प्रेरित करती हैं।अतः प्राणि-मात्र मे बुद्धि रूप मे स्थित उन मातेश्वरी को बारंबार नमन है ---
   या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता।
   नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

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