त्रिदेवों मे भगवान विष्णु का विशेष महत्त्व है।उनकी आराधना नित्य करनी चाहिए।परन्तु कुछ विशेष तिथियों पर की गयी उपासना विशेष फलप्रदा होती है।ज्येष्ठ तथा भाद्रपद मास के बुधवार को ; श्रवण नक्षत्र से युक्त द्वादशी को तथा किसी भी मास की द्वादशी तिथि को विष्णु-पूजन की विशिष्ट महत्ता है।इस पूजा से भक्त को अभीष्ट सम्पत्ति की प्राप्ति होती है।श्रावण मास मे श्रीहरि का पूजन करने से मनुष्य के सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं और उसे आरोग्य की प्राप्ति होती है।अंगों और उपकरणों सहित गौ आदि बारह वस्तुओं का दान करने से जिस फल की प्राप्ति होती है ; वही फल केवल द्वादशी को विष्णु जी की आराधना से भी मिल जाता है।इस तिथि को जो व्यक्ति भगवान विष्णु के द्वादश नामों द्वारा द्वादश ब्राह्मणों का षोडशोपचार पूजन करता है ; उसे भगवान विष्णु की प्रसन्नता का पूर्ण फल प्राप्त होता है।कृत्तिका नक्षत्र युक्त बुधवार को विष्णु-पूजन करने से तथा दही-भात का दान करने से उत्तम सन्तान की प्राप्ति होती है।
ब्रह्मा-पूजन --
ब्रह्मा जी सृष्टि-संरचना करने वाले देवता हैं।इसलिए त्रिदेवों मे इनका विशेष महत्त्व है।यदि कृत्तिका नक्षत्र युक्त गुरुवार को इनका पूजन किया जाय तथा मधु ; सुवर्ण ; घृत आदि का दान किया जाय तो मनुष्य को सम्पूर्ण भोग-वैभव की प्राप्ति होती है।
सूर्य-पूजन ---
सूर्य नारायण प्रत्यक्ष देवता हैं।इनका दर्शन प्रतिदिन होता है।अतः इनका प्रतिदिन पूजन करना आवश्यक है।इनके पूजन के लिए भी कुछ विशेष अवसरों का उल्लेख किया गया है।यदि श्रावण मास के रविवार को ; हस्त नक्षत्र युक्त सप्तमी तिथि को तथा माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को सूर्य-पूजन किया जाय तो अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है।कार्तिक मास के प्रत्येक रविवार को सूर्य-पूजन का विशेष महत्त्व है।इस दिन सूर्योपासना करने तथा तेल एवं सूती वस्त्र का दान करने से कुष्ठ आदि रोगों का नाश हो जाता है।इस मास मे हर्रै ; काली मिर्च ; वस्त्र और खीरा आदि का दान करने तथा ब्राह्मणों की प्रतिष्ठा करने से क्षयरोग का विनाश हो जाता है।यदि इस मास मे सूर्य के निमित्त दीपदान और सरसों का दान किया जाय तो मिरगी रोग समाप्त हो जाता है।
गायत्री-जप --
सामान्य रूप से दैनिक सन्ध्या मे गायत्री जप का विधान है।परन्तु विशेष अवसरों पर गायत्री जप की महत्ता और अधिक बढ़ जाती है।यदि कोई व्यक्ति पौष मास भर जितेन्द्रिय एवं निराहार रहते हुए प्रातःकाल से लेकर मध्याह्न काल तक गायत्री मन्त्र का जप करे ; उसके बाद रात्रि को सोते समय पञ्चाक्षर मन्त्र का जप करे तो उसे मोक्ष की प्राप्ति अवश्य होती है।
कार्तिकेय-पूजन ---
सामान्यतः षष्ठी तिथि को स्वामि कार्तिकेय जी के पूजन का विधान है।परन्तु कुछ अन्य भी ऐसे ऊवसर हैं ; जब उनकी उपासना से विशेष फल की प्राप्ति होती है।विशेषकर कृत्तिका नक्षत्र से युक्त मंगलवार को स्वामि कार्तिकेय का पूजन करने से असीम पुण्यफल की प्राप्ति होती है।इस दिन उनकी पूजा के बाद दीपक ; घण्टा आदि का दान करने से मनुष्य को वाक् सिद्धि की प्राप्ति हो जाती है।उसके मुख से जो भी बात निकलती है ; वह सब सत्य ही हो जाती है।
अन्यदेव-पूजन ---
कृत्तिका नक्षत्र से यक्त शनिवार को दिक्पालों की आराधना ; दिग्गजों ; नागों एवं सेतुपालों का पूजन ; त्रिनेत्रधारी रुद्र ; पापहारी विष्णु ; ज्ञानदाता ब्रह्मा ; धन्वन्तरि एवं दोनों अश्विनी कुमारों का पूजन करने से रोग ; दुर्मृत्यु एवं अकालमृत्यु का निवारण हो जाता है।साथ ही मनुष्य की तात्कालिक व्याधियाँ शान्त हो जाती हैं।इस दिन नमक ; लोहा ; तेल उड़द ; सोंठ ; काली मिर्च ; पीपल ; फल ; गन्ध ; जल ; घृत ; स्वर्ण ; मोती आदि का दान करने से स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है।इन वस्तुओं मे नमक तो कम से कम एक किलो तथा सुवर्ण आदि न्यूनतम एक पल वजन रहना चाहिए।
Monday, 12 September 2016
विष्णु-पूजन
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