एकादशी के दिन व्रत एवं देव पूजन का जितना महत्त्व है ; उतना ही महत्त्व रात्रि जागरण का भी है।वस्तुतः रात्रि जागरण भी एकादशी व्रत का प्रमुख अंग है।इसलिए रात्रि जागरण अवश्य करना चाहिए।जो व्यक्ति भगवत्पूजन पूर्वक श्रीहरि के समक्ष रात्रि जागरण करता है ; वह समस्त पापों से मुक्त होकर भगवान का प्रिय पात्र बन जाता है।केवल एक रात्रि जागरण करने से उसके करोड़ों जन्मों के पाप समूल नष्ट हो जाते हैं।
एकादशी को रात्रि जागरण करते समय भगन्नामोच्चारण का भी बहुत अधिक महत्व है।उस समय एक क्षण भी गोविन्द का नामोच्चारण किया जाय तो उसके चार गुना फल होता है।एक प्रहर तक नामोच्चारण करने से कोटि गुना और चार प्रहर तक करने से असीम फल की प्राप्ति होती है।इस प्रकार जितना अधिक समय तक भगवन्नामोच्चारण किया जाता है ; फल उतना ही अधिक गुना बढ़ता जाता है।इसलिए रात्रि जागरण मे भगवान के पवित्र नामों का संकीर्तन अवश्य करना चाहिए।उस समय नृत्य गीत आदि का भी आयोजन करना चाहिए।इससे जो पुण्य फल प्राप्त होता है ; वह मृत्यु-पर्यन्त कभी क्षीण नहीं होता है।जागरण के समय पुराण कथा का भी आयोजन करना बहुत पुण्यदायक होता है परन्तु पुराण वाचक न मिले तब केवल नृत्य गीत आदि का ही आयोजन करना चाहिए।नृत्य गीत आदि के माध्यम से जो संकीर्तन होता है ; वह असीम पुण्यदायक होता है।
शास्त्रों मे एकादशी को रात्रि जागरण की असीम महत्ता वर्णित है।उक्त ग्रन्थों के अनुसार केवल एक रात्रि जागरण करने से दस सहस्र वाजपेय यज्ञों से भी करोड़ों गुना पुण्य प्राप्त होता है।जो व्यक्ति रात्रि जागरण की निन्दा या उपहास करता है ; उसका अधःपतन हो जाता है।वह साठ हजार वर्षों तक विष्टा का कीड़ा बनकर दुःख भोगता रहता है।इसलिए कभी भी निन्दा नहीं करनी चाहिए बल्कि पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ जागरण करना चाहिए।इस महनीय कार्य के परिणाम स्वरूप व्रती को ब्रह्मलोक ; कैलास एवं वैकुण्ठ धाम की प्राप्ति हो जाती है।जो व्यक्ति रात्रि जागरण के लिए दूसरों को प्रेरित करता है ; वह भी परम सुख को प्राप्त करता है।रात्रि जागरण के लिए मन्दिर मे जाते समय भक्त जितने पग चलता है ; उसे उतने ही अश्वमेध यज्ञों का फल प्राप्त होता है।इसलिए प्रत्येक एकादशी को जागरण करने के लिए विष्णु-मन्दिर अवश्य जाना चाहिए।
जिस स्थान पर एकादशी को रात्रि जागरण किया जाता है ; वह स्थान भी पवित्र हो जाता है।वहाँ काशी ; मथुरा ; प्रयाग ; पुष्कर ; नैमिषारण्य आदि सभी तीर्थ आकर निवास करने लगते हैं।इतना ही नहीं ; बल्कि वहाँ पर चारो वेद ; सभी यज्ञ ; गंगा आदि सभी नदियाँ ; सरोवर ; समुद्र आदि भी आ जाते हैं।उस पवित्र स्थल पर जो भी पहुँच जायेगा और श्रद्धा- भक्ति पूर्वक सक्रिय भाग लेगा ; उसे इन समस्त तीर्थों का पुण्यफल स्वयमेव प्राप्त हो जायेगा।अतः सभी लोगों को एकादशी के उपलक्ष्य मे रात्रि जागरण अवश्य करना चाहिए।
Saturday, 3 September 2016
एकादशी को रात्रि जागरण -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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