Sunday, 18 September 2016

कल्कि अवतार -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

           भगवान विष्णु के चौबीस अवतारों मे कल्कि अवतार की गणना बाईसवें स्थान पर की गयी है।श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार जब कलियुग का अन्त समीप होगा और राजा लोग प्रायः लुटेरे हो जायेंगे ; तब जगत् के रक्षक भगवान विष्णु जी विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर मे कल्कि नाम से अवतरित होंगे ---
   अथासौ युगसंध्यायां दस्युप्रायेषु राजसु।
   जनिता विष्णुयशसो नाम्ना कल्किर्जगत्पतिः।।
         महाभारत के अनुसार कलियुग मे अधर्म की वृद्धि एवं धर्म का ह्रास हो जायेगा।सभी सामाजिक एवं पारिवारिक सम्बन्ध समाप्त हो जायेंगे।सर्वत्र पाप ; दुःख ; दरिद्रता ; अनीति ; अनाचार आदि का बोल-बाला हो जायेगा।तब सम्भल ग्राम मे विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर मे भगवान कल्कि का अवतार होगा।वे महान् बुद्धि एवं पराक्रम से सम्पन्न ; महात्मा ; सदाचारी और सम्पूर्ण प्रजा के शुभेच्छु होंगे।उनके पास वाहन ; अस्त्र-शस्त्र ; योद्धा ; कवच आदि सब कुछ होगा।वे धर्मविजयी चक्रवर्ती राजा होंगे।वे सम्पूर्ण विश्व को आनन्द प्रदान करने वाले होंगे।उनके सत्प्रयासों से कलियुग का अन्त होगा।
        भगवान कल्कि जी सभी दुष्टों ; दस्युओं एवं नीच स्वभाव वाले लोगों का संहार करेंगे।वे सभी पातकियों ; दुराचारियों एवं दुष्टों का विनाश कर अश्वमेध यज्ञ का आयोजन करेंगे और उसमे सम्पूर्ण पृथ्वी ब्राह्मणों को दान कर देंगे।उनका यश और कर्म अत्यन्त पवित्र होगा।वे भगवान स्वयम्भुव विधाता द्वारा चलायी गयी मर्यादाओं की स्थापना करके तपस्या करने के लिए वन मे प्रवेश करेंगे।बाद मे अन्य लोग भी उनका अनुसरण करेंगे।इससे समाज के प्रत्येक व्यक्ति मे पवित्रता और सात्त्विकता का भाव उत्पन्न होगा।इससे सम्पूर्ण विश्व मे सुख-शान्ति का वातावरण बन जायेगा।

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