Saturday, 3 September 2016

विजया एकादशी -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

          उपर्युक्त जया एकादशी की भाँति विजया एकादशी भी नक्षत्र और तिथि के योग पर आधारित होती है।जब किसी महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को श्रवण नक्षत्र होता है ; तब उसे विजया कहा जाता है।
कथा ---- इस एकादशी व्रत का भी वर्णन भगवान महादेव ने देवर्षि नारद से किया था।इसलिए इसका महत्त्व स्वयं सिद्ध है।
विधि ---- इस एकादशी का विधि-विधान अन्य एकादशियों की ही भाँति है।इसमे भी भगवान विष्णु का विधिवत् पूजन एवं रात्रि जागरण किया जाता है।
माहात्म्य ---- यह एकादशी अत्यन्त पुण्यदायिनी है।इस दिन जो दान आदि किया जाता है ; उसका सहस्र गुना फल प्राप्त होता है।इस दिन जितने ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है ; उसके एक सहस्र गुना ब्राह्मण भोजन का फल प्राप्त होता है।इस दिन होम ; उपवास आदि जो किया जाता है ; उसका सहस्र गुना से भी अधिक पुण्यफल की प्राप्ति होती है।अतः प्रत्येक आस्तिक व्यक्ति को चाहिए कि वह इस अलभ्य एकादशी का व्रत अवश्य करे और अधिकाधिक लाभ प्राप्त करे।इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार उपवास ; दान ; होम आदि अवश्य करना चाहिए।

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