Friday, 1 April 2016

मन्वन्तर --- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

           यह तो सर्वविदित है कि युग चार होते हैं -- सत्ययुग ; त्रेता ; द्वापर और कलियुग।इनमे से कलियुग चार लाख बत्तीस हजार ( 432000 ) वर्षों का ; द्वापर आठ लाख चौंसठ हजार ( 864000 ) वर्षों का ; त्रेता बारह लाख छियानबे हजार ( 1296000 ) वर्षों का और सत्ययुग सत्रह लाख अट्ठाईस हजार वर्षों का होता है।इन चारों के योग को एक चतुर्युग कहा जाता है।एक चतुर्युग मे 432000+864000+1296000+1728000= 4320000 ( तैंतालीस लाख बीस हजार ) होते हैं।यह चतुर्युग जब एक हजार बार व्यतीत हो जाता है ; तब ब्रह्मा जी का एक दिन होता है।ब्रह्मा के एक दिन को ही एक कल्प कहा जाता है।इस प्रकार एक कल्प मे 4320000×1000=4320000000 ( चार अरब बत्तीस करोड़ वर्ष होते हैं।
           एक कल्प मे चौदह मनु होते हैं ; जो बराबर-बराबर समय तक शासन करते हैं।एक मनु के समय को ही एक मन्वन्तर कहा जाता है।इस प्रकार एक मन्वन्तर मे तीस करोड़ पचासी लाख एकहत्तर हजार चार सौ अट्ठाईस ( 308571428 ) वर्ष ; 06 मास ; 25 दिन ; 17 घण्टे ; 08 मिनट और 34.29 सेकण्ड होते हैं।

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