आजकल विज्ञान का युग है।लोगों ने मानव की सुख-सुविधा के लिए अनेकानेक खाद्य पदार्थों एवं पेय पदार्थों का आविष्कार कर लिया है।परन्तु हम उन पदार्थों मे निहित विकारों से पूर्णतः अनभिज्ञ हैं।इसलिए उसका सेवन अन्धाधुन्ध करते जा रहे हैं।हम अपने प्रकृति-प्रदत्त उपहारों से दूर होते जा रहे हैं।अतः यहाँ एक ऐसे ही दिव्य उपहार की ओर आप लोगों का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ ; जिसे बेल का शरबत कहा जाता है।
इस समय गर्मी अपने चरम पर है।पारा 45 के आस-पास चल रहा है।अतः हमे उससे बचाने मे बेल का शरबत बहुत उपयोगी है।केवल एक गिलास शरबत लेने से गर्मी जन्य कष्ट दूर होंगे और प्राकृतिक शीतलता की प्राप्ति होगी।पेट की गर्मी तथा लू दूर हो जायेगी।पेट भी साफ रहेगा।शक्ति एवं स्फूर्ति का अनुभव होगा।आँव ; पेचिस ; पेट का मरोड़ आदि दूर हो जायेगा।
शरबत बनाने के लिए एक बेल का गूदा लेकर उसे पानी मे डालकर अच्छी तरह से मसल दें।फिर बड़े छेद वाली छन्नी से छान लें।उसमे थोड़ी सी चीनी मिला लें।यदि सुविधा हो तो थोड़ा सा भुना जीरा और नमक भी डाल लें।इससे स्वाद और लाभ दोनो बढ़ जायेंगे।एक बेल मे लगभग तीन-चार गिलास शरबत बन जाता है।यह शरबत प्रकृति का वरदान है।अतः इसे प्राप्त करने का प्रयास अवश्य करना चाहिए।इस समय पके बेल बहुत आसानी से मिल जाते हैं।केवल मन बनाने की बात है।
Tuesday, 19 April 2016
बेल का शरबत -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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