Sunday, 24 April 2016

सारा संसार शिवमय है -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

           शिव जी सर्वेश्वर एवं जगदीश्वर हैं।वे सम्पूर्ण विश्व के कण-कण मे व्याप्त हैं।इसे इस प्रकार समझा जा सकता है ---
          प्राचीन अक्षर गणना पद्धति के अनुसार " शिव " शब्द मे दो अक्षर माने जाते हैं।ये दो अक्षर विश्व के समस्त व्यक्ति ; वस्तु और स्थान मे व्याप्त हैं।आप किसी भी व्यक्ति ; वस्तु अथवा स्थान के नाम के अक्षरों को गिन कर उसमे 4 का गुणा कर दें।फिर उसमे 5 जोड़ दें।जो आये उसमे 2 का गुणा कर दें।फिर उसको 8 से भाग दें।लब्धि के बाद शेष 2 ही आयेगा।यही 2 शिव नाम के दो अक्षर हैं।मै नीचे करके दिखा रहा हूँ --
1×4=4+5=9×2=18÷8=2लब्धि एवं शेष 2 आया।
2×4=8+5=13×2=26 ÷8=लब्धि 3 तथा शेष 2 आया।
3×4=12+5=17×2=34÷8=लब्धि 4 तथा शेष 2 आया।
4×4=16+5=21×2=42÷8=लब्धि 5 और शेष 2 आया।
5×4=20+5=25×2=50÷8=लब्धि6 और शेष 2 आया।
6×4=24+5=29×2=58÷8=लब्धि 7 और शेष 2 आया।
7×4=28+5=33×2=66÷8= लब्धि 8 और शेष 2 आया।
         इसी प्रकार अन्य संख्याओं को भी देख सकते हैं।शेष दो ही आयेगा।यह दो की संख्या ही शिव नाम के दो अक्षर हैं।

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