एक सप्ताह मे सात दिन होते हैं ; जो क्रमशः रविवार ; सोम ; मंगल ; बुध ; बृहस्पति ; शुक्र और शनि के रूप मे आते हैं।इनमे कभी व्यतिक्रम नही होता है।ये दिन इसी क्रम मे क्यों आते है ? साथ ही इनका नाम क्यों पड़ा ? यहाँ इसी तथ्य को स्पष्ट करने का प्रयास किया जायेगा।
अन्तरिक्ष मे पृथ्वी के एक ओर सबसे पहले शुक्र फिर बुध और उसके बाद सूर्य है।दूसरी ओर पहले मंगल फिर बृहस्पति और उसके बाद शनि है।दिन रात मे चौबीस घण्टे होते हैं।इसे ही चौबीस होरा कहा जाता है।
ज्योतिर्विदों ने सृष्टि के आरम्भ मे सूर्योदय के समय की प्रथम होरा का स्वामी सूर्य को माना।उसके बाद अन्तरिक्ष मे स्थित ग्रह-स्थिति के आधार पर दूसरी होरा का स्वामी शुक्र को और तीसरी होरा का स्वामी बुध को माना।चौथी का स्वामी चन्द्रमा को स्वीकार किया।उसके बाद पृथ्वी के दूसरी छोर के अन्तिम ग्रह शनि को पाँचवीं होरा का स्वामी माना।षष्ठ होरा का स्वामी बृहस्पति को और सप्तम होरा का स्वामी मंगल को माना गया।इसके बाद पुनः इसी क्रम से होराओं के स्वामी होते हैं।इसी प्रकार रखते रहने पर पचीसवीं होरा चन्द्र की पड़ी।इसीलिए चौबीस घण्टे बाद चन्द्रवार ( सोमवार ) का दिन हुआ।
इसी प्रकार पुनः चौबीस होरा के बाद पचीसवीं होरा मंगल की पड़ने से मंगलवार हुआ।उसके आगे की पचीसवीं होरा बुध की पड़ी।उससे पचीसवीं बृहस्पति की हुई।उससे पचीसवीं शुक्र की पड़ी।फिर उससे पचीसवीं होरा शनि की पड़ी।इसी आधार पर दिनो के नाम एवं क्रम निर्धारित हुए।इसे निम्नलिखित चक्र से समझ सकते हैं ---
1- सूर्य ; 2- शुक्र ;3- बुध; 4- चन्द्र; 5- शनि; 6- बृह; 7-मंगल ;8-सूर्य ;9- शुक्र; 10- बुध ;11- चन्द्र ;12- शनि; 13- बृह; 14- मंगल ;15- सूर्य; 16- शुक्र ;17- बुध 18- चन्द्र ;19- शनि ;20- बृह ;21- मंगल 22- सूर्य ;23- शुक्र ;24- बुध ;25 - चन्द्र
इस प्रकार पचीसवीं होरा चन्द्र की पड़ने से रविवार के बाद चन्द्रवार ( सोमवार ) पड़ा।इसी क्रम को दुहराने पर पचीसवीं होरा मंगल की होगी।इसी प्रकार शेष दिन होंगे।
Sunday, 10 April 2016
दिनों का नामकरण -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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Very nice thought
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