Sunday, 17 April 2016

राजा सगर के साठ हजार पुत्र -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

           प्राचीन काल मे सूर्य वंश मे सगर नामक एक महान शासक थे।उनकी दो पत्नियाँ थी ; जिनका नाम वैदर्भी और शैव्या था।।उनकी शैव्या नामक पत्नी से एक पुत्र हुआ ; जिसका नाम असमंजस था।उनकी दूसरी पत्नी वैदर्भी ने पुत्र-प्राप्ति के लिए भगवान शिव जी की आराधना की।शिव जी की कृपा से उसने गर्भ धारण किया।सौ वर्षों के बाद उसके गर्भ से एक मांसपिण्ड उत्पन्न हुआ।उसे देखकर वह विलाप करते हुए शिव जी की प्रार्थना करने लगी।
           वैदर्भी के करुण-क्रन्दन को सुनकर शिव जी एक ब्राह्मण के वेश मे प्रकट हुए।उन्होंने उस मांसपिण्ड को साठ हजार समान भागों मे विभक्त कर दिया।वे सभी टुकड़े प्रबल पराक्रमी पुत्र के रूप मे प्रकट हो गये।वे सभी ग्रीष्म ऋतु के मध्याह्नकालीन सूर्य की प्रभा को तिरस्कृत करने वाली कान्ति से युक्त थे।ये ही पुत्रगण आगे चलकर कपिलमुनि के शाप से भस्म हो गये थे।

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