शिव जी बहुत कल्याणकारी देवता हैं।वे लोककल्याण के लिए प्रत्येक कल्प मे विविध रूपों मे अवतरित होते रहते हैं।जिस प्रकार प्रत्येक द्वापरयुग मे वेदव्यास का अवतार होता है ; उसी प्रकार प्रत्येक कलियुग मे शिव जी योगेश्वर रूप मे अवतरित होते हैं।इस समय श्वेतवाराह कल्प का सातवाँ मन्वन्तर चल रहा है।इस मन्वन्तर मे सत्ताइस बार कलियुग व्यतीत हो चुका है ; अट्ठाईसवाँ कलियुग चल रहा है।अतः इस मन्वन्तर मे शिव जी के अट्ठाईस अवतार हो चुके हैं।उनके नाम इस प्रकार हैं --
1-- प्रथम कलियुग मे शिव जी ने योगेश्वर रूप मे जो अवतार लिया था।उसका नाम महामुनि श्वेत था।उस समय उनके शिष्यों के नाम श्वेत ; श्वेतशिख ; श्वेताश्व तथा श्वेतलोहित थे।
2-- द्वितीय कलियुग मे शिव जी सुतार नाम से अवतरित हुए।उस समय उनके शिष्यों के नाम दुन्दुभि ; शतरूप ; हृषीक तथा केतुमान् थे।
3-- तृतीय कलियुग के योगेश्वर का नाम दमन था।उनके शिष्यों के नाम विशोक ; विशेष ; विपाप और पापनाशन थे।
4-- चौथे कलियुग मे शिव जी के योगेश्वरावतार का नाम सुहोत्र था।उनके शिष्यों के नाम सुमुख ; दुर्मुख ; दुर्दम तथा दुरतिक्रम थे।
5-- पाँचवें कलियुग मे शिव जी के योगेश्वरावतार का नाम कङ्क था।उनके शिष्यों के नाम सनक ; सनातन ; सनन्दन और सनत्कुमार थे।
6-- छठवें कलियुग के योगेश्वर का नाम लोकाक्षि था।उनके शिष्यों के नाम सुधामा ; विरजा ; संजय और विजय थे।
7-- सातवें कलियुग के योखेश्वर का नाम जैगीषव्य था।उनके शिष्यों के नाम सारस्वत ; योगीश ; मेघवाह और सुवाहन थे।
8-- आठवें कलियुग के योगेश्वर का नाम दधिवाहन था।उस समय कपिल ; आसुरि ; पञ्चशिख और शाल्वल नामक चार शिष्य थे।
9-- नौवें कलियुग के योगेश्वर का नाम ऋषभ और उनके शिष्यों के नाम पराशर ; गर्ग ; भार्गव एवं गिरिश थे।
10-- दसवें कलियुग के योगेश्वर का नाम उग्र था।उनके शिष्यों के नाम भृंग ; बलबन्धु ; नरामित्र और केतुश्रृंग थे।
11-- ग्यारहवे कलियुग मे तप नामक योगेश्वर हुए।लम्बोदर ; लम्बाक्ष ; केशलम्ब और प्रलम्बक नामक चार शिष्य हुए।
12-- बारहवे कलियुग के योगेश्वर का नाम अत्रि और शिष्यों के नाम सर्वज्ञ ; समबुद्धि ; साध्य तथा शर्व थे।
13-- तेरहवें कलियुग मे महामनि बलि योगेश्वर हुए।उनके शिष्यों के नाम सुधामा ; काश्यप ; वसिष्ठ और विरजा था।
14 -- चौदहवें कलियुग के योगेश्वर का नाम गौतम था।उनके शिष्यों के नाम अत्रि ; वशद ; श्रवण और श्नविष्टक थे।
15-- पन्द्रहवें कलियुग के योगेश्वर का नाम वेदशिरा था।उनके शिष्यों के नाम कुणि ; कुणिबाहु ; कुशरीर तथा कुनेत्रक थे।
16-- सोलहवें कलियुग के योगेश्वर गोकर्ण हुए और काश्यप ; उशना ; च्यवन एवं बृहस्पति उनके शिष्य थे।
17-- सत्रहवें कलियुग के योगेशूवर का नाम गुहावासी था।उनके शिष्यों के नाम उतथ्य ; वामदेव ; महायोग और महाबल थे।
18-- अट्ठारहवें कलियुग के योगेश्वर का नाम शिखण्डी था।उनके शिष्यों के नाम वाचःश्रवा ; रुचीक ; श्यावास्य एवं यतीश्वर थे।
19-- उन्नीसवें कलियुग के योगेश्वर का नाम माली था।उनके शिष्यों के नाम हिरण्यनामा ; कौसल्य ; लोकाक्षि तथा प्रधिमि थे।
20-- बीसवें कलियुग के योगेश्वर का नाम अट्टहास था।उनके शिष्यों के नाम सुमन्तु ; वर्वरि ; कम्बन्ध और कुलिकन्धर थे।
21-- इक्कीसवें कलियुग मे दारुक नाम के योगेश्वर हुए और प्लक्ष ; दार्भायणि ; केतुमान् तथा गौतम उनके शिष्य हुए।
22-- बाईसवें कलियुग के योगेश्वर का नाम लांगली भीम था।उनके शिष्यों के नाम भल्लवी ; मधु ; पिंग एवं श्वेतकेतु थे।
23-- तेईसवें कलियुग के योगेश्वर का नाम श्वेत था।उनके शिष्यों के नाम उशिक ; बृहदश्व ; देवल तथा कवि थे।
24-- चौबीसवें कलियुग के योगेश्वर का नाम शूली था।उनके शिष्यों के नाम शालिहोत्र ; अग्निवेश ; युवनाश्व एवं शरद्वसु थे।
25-- पचीसवें कलियुग के योगेश्वर का नाम मुण्डीश्वर था।उनके शिष्यों के नाम छगल ; कुण्डकर्ण ; कुम्भाण्ड एवं प्रवाहक था।
26-- छब्बीसवें कलियुग के योगेश्वर का नाम सहिष्णु था।उनके शिष्यों के नाम उलूक ; विद्युत ; शम्बूक तथा आश्वलायन थे।
27-- सत्ताईसवें कलियुग के योगेश्वर का नाम सोमशर्मा था।उनके शिष्यों के नाम अक्षपाद ; कुमार ; उलूक और वत्स थे।
28-- अट्ठाईसवें कलियुग के योगेश्वर का नाम लकुली है।उनके शिष्यों के नाम कुशिक ; गर्ग ; मित्र और तौरुष्य है।
Friday, 29 April 2016
शिव जी के योगेश्वरावतार -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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