Tuesday, 26 April 2016

शिव जी का तत्पुरुषावतार -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

           शिव जी के प्रमुख पञ्चावतारों मे सद्योजात एवं वामदेव अवतार के विषय मे  चर्चा की जा चुकी है।अब यहाँ उनके तत्पुरुष अवतार पर प्रकाश डालते हुए उनके चरणार्विन्दों मे मन लगाने का प्रयास किया जा रहा है।
           एक कल्प मे ब्रह्मा जी ने पीत वस्त्र धारण किया था।इसलिए उस कल्प का नाम पीतवासा कल्प हुआ।उस कल्प मे एक बार ब्रह्मा जी ने पुत्र-प्राप्ति की कामना से ध्यान लगाया।उसी समय उनसे एक महातेजस्वी एवं प्रौढ़ कुमार उत्पन्न हुआ।वह अजानबाहु था।उसने अपने शरीर पर पीत वस्त्र धारण कर रखा था।उस बालक के विषय मे जानकारी प्राप्त करने के लिए ब्रह्मा जी ने ध्यानयोग का आश्रय ग्रहण किया।उससे उन्हें ज्ञात हुआ कि वह कुमार तत्पुरुष शिव जी ही हैं।अतः ब्रह्मा जी ने उन्हें महादेवी शांकरी गायत्री ( तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि ) के द्वारा नमन किया।
           ब्रह्मा जी द्वारा की गयी आराधना से भगवान शिव जी प्रसन्न हो गये।इसके बाद उनके पार्श्व भाग से दिव्य कुमार प्रकट हुए ; जो पीत वस्त्रधारी थे।कालान्तर मे वे योगमार्ग के प्रवर्तक हुए।शिव जी का यह स्वरूप गुणों के आश्रयरूप तथा भोग्य सर्वज्ञ मे अधिष्ठित है।यह त्वक् ; पाणि और सर्व गुण विशिष्ट वायु का स्वामी है।

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