Thursday, 7 April 2016

विक्रम संवत् -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी का आलेख

           विक्रम संवत् भारतीय कालगणना मे प्रचलित वर्ष-गणना की एक इकाई है।इसका प्रवर्तन उज्जयिनी के महान् शासक विक्रमादित्य ने किया था।इसीलिए इसको उन महाराजा के नाम पर "विक्रम संवत्" कहा जाता है।पौराणिक मान्यता के अनुसार ब्रह्मा जी ने सृष्टि का आरम्भ चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को किया था।इसीलिए राजा ने भी अपनी संवत् का आरम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही किया था।आजकल अधिकाँश पञ्चाङ्गों मे इसी संवत् का प्रयोग होता है।
           इस संवत् का आरम्भ ईसवी सन् के 57 वर्ष पूर्व हुआ था।इसीलिए अप्रैल मास के लगभग दूसरे सप्ताह से लेकर दिसम्बर तक ईसवी सन् मे 57 जोड़ने पर संवत् आ जाता है।आगामी 8 अप्रैल 2016 को संवत्  2073 आरम्भ होगा।अतः उस समय सन् 2016+57=2073 संवत् होगा। परन्तु जनवरी से अप्रैल के लगभग प्रथम सप्ताह तक सन् मे 56 जोड़ने पर संवत् ज्ञात होगा।जैसे फरवरी 2016 का संवत् जानने के लिए 2016+56=2072 संवत् आया।
            इस संवत् मे चैत्र ; वैशाख ; ज्येष्ठ ; आषाढ़ ; श्रावण ; भाद्रपद ; आश्विन ( क्वार ) ; कार्तिक ; मार्गशीर्ष ( अगहन ) ; पौष ; माघ और फाल्गुन नामक महीनों तथा रविवार ; सोमवार ; मंगलवार ; बुधवार ; बृहस्पतिवार ; शुक्रवार एवं शनिवार -- इन सात दिनों का प्रयोग होता है।सनातन धर्म के सभी व्रत-पर्व इसी संवत् के आधार पर मनाये जाते हैं।

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