Tuesday, 12 April 2016

श्रीराम द्वारा दुर्गापूजन

            सीता-हरण के बाद श्रीराम और लक्ष्मण किष्कन्धा आये।वहाँ बालि का वध कर सुग्रीव को राजा बना दिया और स्वयं दोनो भाई वहीं पर्वत पर वर्षा ऋतु व्यतीत करने लगे।एक दिन अचानक नारद जी आ गये।श्रीराम ने उनका यथोचित सत्कार किया।बाद मे नारद जी ने कहा कि मुझे सीता-हरण की घटना ज्ञात है।आप शोकाकुल न हों।आपका अवतार ही रावण-वध के लिए हुआ है।सीता जी लंका मे सकुशल हैं।इन्द्र ने उनके पास कामधेनु का दूध भेजा है।सीता ने उसे पान कर लिया है।इससे वे भूख-प्यास से रहित हो गयी हैं।अब आप आगामी आश्विन मास मे नवरात्र-व्रत कीजिए।इसके प्रभाव से आप रावण का वध करने मे समर्थ हो जायेंगे।
           आश्विन मास आने पर श्रीराम ने माता भगवती का पूजन ; उपवास ; हवन आदि आरम्भ किया।अष्टमी की मध्य रात्रि के समय दुर्गा जी साक्षात् प्रकट हुईं।उन्होंने श्रीराम से कहा कि मै आपके व्रत से सन्तुष्ट हूँ।आप शोकाकुल न हों।आपका तो अवतार ही रावण का वध करने के लिए हुआ है।आप शीघ्र ही लक्ष्य-प्राप्ति मे समर्थ होंगे।ऐसा कहकर माता जी अन्तर्धान हो गयीं।
           श्रीराम ने विधिवत् व्रत का समापन एवं दशमी को विजया-पूजन किया।बाद मे वानर सेना के सहयोग से सेतु बाँधकर लंका पहुँचे और भीषण युद्ध के पश्चात् रावण का वध कर सीता को प्राप्त करने मे सफल हुए।

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