पञ्चदेव -- इनमे शिव ; विष्णु ; गणेश ; सूर्य एवं शक्ति की गणना की जाती है।
पञ्चपल्लव -- इनमे पीपल ; गूलर ; पाकर ; आम और बरगद के पल्लव आते हैं।
पञ्चगव्य -- गोमूत्र एक पल ; गोमय आधा अँगूठा के बराबर ; गोदुग्ध सात पल ; गोदधि तीन पल ; गोघृत एक पल और कुशोदक एक पल मंत्रों द्वारा मिलाना चाहिए।
पञ्चामृत -- गोदुग्ध ; गोदधि ; गोघृत ; मधु और चीनी मिलाने से पञ्चामृत बनता है।
पञ्चरत्न -- सोना ; हीरा ; नीलमणि ; पद्मराग और मोती।
सप्तधान्य -- इसमे जौ ; धान ; तिल ; ककुनी ; मूग ; चना और साँवा की गणना की जाती है।
निर्जला व्रत -- आरम्भ से अन्त तक एक बूँद भी जल न ग्रहण करे।
उपवास -- आदि से अन्त तक अन्न न ग्रहण करे।
एकभुक्त -- दिन मे एक बार भोजन करना एकभुक्त व्रत है।
नक्तव्रत -- दिन भर उपवास करके रात्रि मे तारे निकलने पर एक बार भोजन करना नक्तव्रत है।
अयाचित व्रत -- बिना माँगे जो मिल जाय उसे उचित समय अथवा रात्रि मे भोजन करे।परन्तु इसमे भी खाद्याखाद्य का विचार आवश्यक है।
फलाहार -- व्रत मे एक बार खाद्य फलों का आहार करना फलाहार है।
पञ्चोपचार पूजन -- इष्टदेव को गन्ध ; पुष्प ; धूप ; दीप और नैवेद्य निवेदित करना पञ्चोपचार पूजन है।
दशोपचार पूजन -- पाद्य ; अर्घ्य ; आचमन ; स्नान ; वस्त्र ; गन्ध ; पुष्प ; धूप ; दीप और नैवेद्य समर्पित करना दशोपचार पूजन है।
षोडशोपचार पूजन -- इसमे पाद्य ; अर्घ्य ; आचमन ; स्नान ; वस्त्र ; आभूषण ; गन्ध ; पुष्प ; धूप ; दीप ; नैवेद्य ; आचमन ; ताम्बूल ; स्तवपाठ ; तर्पण और नमस्कार निवेदित किया जाता है।
मन्त्र -- मन्त्रों मे वैदिक अथवा पौराणिक लेना चाहिए।यदि असमर्थ हों तो नाम-मन्त्र से ही पूजन करें।
दिनविभाग -- दिन को पाँच भागों मे विभक्त करने पर क्रमशः प्रातः ; पूर्वाह्न ; मध्याह्न ; अपराह्न और सायाह्न होते हैं।
प्रदोष काल -- सूर्यास्त के बाद की दो घटी ( 48 मिनट ) का समय प्रदोषकाल कहलाता है।
निशीथ काल -- अर्धरात्रि को निशीथ काल कहा जाता है।
Monday, 4 April 2016
पारिभाषिक शब्दावली
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