आकाश मे उत्तर दिशा की ओर ध्रुवतारा के सीध मे स्थित सात तारों के एक समूह को सप्तर्षि मण्डल कहा जाता है।इस मण्डल के सात तारे सात ऋषियों के नाम पर हैं।इन ऋषियों का नाम प्रत्येक मन्वन्तर मे परिवर्तित होता रहता है।एक कल्प मे चौदह मन्वन्तर होते हैं।इस प्रकार प्रत्येक कल्प मे कुल मिलाकर चौदह सप्तर्षि मण्डल हो जाते हैं ; परन्तु एक मन्वन्तर मे एक ही सप्तर्षि मण्डल रहता है। प्रत्येक मन्वन्तर के सप्तर्षियों के नाम इस प्रकार हैं --
1-प्रथम स्वायम्भुव मन्वन्तर के सप्तर्षियों मे मरीचि ; अत्रि ; अंगिरा ; पुलस्त्य ; पुलह ; क्रतु और वसिष्ठ थे।
2- द्वितीय स्वारोचिष मन्वन्तर के सप्तर्षि मण्डल मे ऊर्ज्ज ; स्तम्भ ; वात ; प्राण् ; पृषभ ; निरय और परीवान् थे।
3- तृतीय उत्तम मन्वन्तर मे रज ; ऊर्ध्व ; ऊर्ध्वबाहु ; सबल ; अनय ; सतपा और शुक्र थे।
4- चतुर्थ तामस मन्वन्तर के सप्तर्षियों मे ज्योतिर्धामा ; पृथु ; काव्य ; चैत्र ; अग्नि ; वनक और पीवर सम्मिलित थे।
5- पञ्चम रैवत मन्वन्तर के सप्तर्षियों मे हिरण्यरोमा ; वेदश्री ; ऊर्ध्वबाहु ; वेदबाहु ; सुधामा ; पर्जन्य और महामुनि थे।
6- षष्ठ चाक्षुष मन्वन्तर के सप्तर्षियों मे सुमेधा ; विरजा ; हविष्मान् ; उत्तम ; मधु ; अतिनामा और सहिष्णु थे।
7- सप्तम एवं वर्तमान वैवस्वत मन्वन्तर मे काश्यप ; अत्रि ; वसिष्ठ ; विश्वामित्र ; गौतम ; जमदग्नि और भरद्वाज जी सप्तर्षि मण्डल मे प्रतिष्ठित हैं।
8- अष्टम सावर्णिक मन्वन्तर मे गालव ; दीप्तिमान् ; राम ; अश्वत्थामा ; कृप ; ऋष्यश्रृंग ; और व्यास जी सप्तर्षियों मे होंगे।
9- नवम दक्षसावर्णि मन्वन्तर के सप्तर्षि मण्डल मे मेधातिथि ; वसु ; सत्य ; ज्योतिष्मान् ; दूयुतिमान् ; सवन और भव्य होंगे।
10- दशम ब्रह्मसावर्णि मन्वन्तर के सप्तर्षि मण्डल मे तपोमूर्ति ; हविष्मान् ; सुकृत ; सत्य ; नाभाग ; अप्रतिमौजा और सत्यकेतु होंगे।
11- एकादश धर्मसावर्णि मन्वन्तर के सप्तर्षि मण्डल मे वपुष्मान् ; घृणि ; आरुणि ; निःस्वर ; हविष्मान् ; अनघ और अग्नितेजा होंगे।
12- द्वादश रुद्रसावर्णि मन्वन्तर मे तपोद्युति ; तपस्वी ; सुतपा ; तपोमूर्ति ; तपोधन ; तपोरति और तपोधृति होंगे।
13- त्रयोदश देवसावर्णि मन्वन्तर के सप्तर्षियों मे धृतिमान ; अव्यय ; तत्त्वदर्शी ; निरुत्सुक ; निर्मोह ; सुतपा और निष्प्रकम्प होंगे।
14- चतुर्दश इन्द्रसावर्णि मन्वन्तर के सप्तर्षियों मे अग्निध्र ; अग्निबाहु ; शुचि ; युक्त ; मागध ; शुक्र और जित होंगे।
Monday, 4 April 2016
चतुर्दश सप्तर्षि मण्डल --- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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