Sunday, 10 April 2016

महीनों का नामकरण -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

           सामान्य रूप से भारतीय महीने चार प्रकार के हैं -- सौर ; चान्द्र ; नाक्षत्र एवं सावन।लोकव्यवहार मे चान्द्र मासों का प्रयोग अधिक होता है।चैत्र वैशाख आदि चान्द्र मास हैं।इनका नामकरण पूर्णिमा तिथि को नक्षत्र विशेष पर चन्द्रमा की स्थिति के आधार पर किया गया है।सृष्टि के आरम्भ मे पूर्णिमा को चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर था ; उसी नक्षत्र के नाम पर  महीने का नाम रखा गया है।
1-- चैत्र -- ब्रह्मा जी ने जिस दिन सृष्टि का आरम्भ किया था ; उस दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि थी।चन्द्रमा सहित सभी ग्रह अश्विनी नक्षत्र पर थे।उसके बाद जब पूर्णिमा आई तो उस दिन चन्द्रमा चित्रा नक्षत्र पर था।इसीलिए उस महीने का नाम चैत्र रखा गया।
2-- वैशाख -- उसके एक महीने बाद वाली पूर्णिमा को चन्द्रमा विशाखा नक्षत्र पर होने से उसका नाम वैशाख रखा गया।
3-- ज्येष्ठ -- अगली पूर्णिमा को चन्द्रमा ज्येष्ठा पर होने से महीने का नाम ज्येष्ठा रखा गया।
4-- आषाढ़ -- अगली पूर्णिमा को चन्द्रमा पूर्वाषाढ़ा मे होने से आषाढ़ हुआ।
5-- श्रावण -- अगली पूर्णिमा को चन्द्रमा श्रवण मे होने से श्रावण हुआ।
6-- भाद्रपद -- अगली पूर्णिमा को चन्द्रमा पूर्वाभाद्रपद पर होने से भाद्रपद हुआ।
7-- आश्विन -- अगली पूर्णिमा को चन्द्रमा अश्विनी पर होने से आश्विन मास हुआ।
8-- कार्तिक -- अगली पूर्णिमा को चन्द्रमा  कृत्तिका पर होने से कार्तिक नाम हुआ।
9-- मार्गशीर्ष -- अगली पूर्णिमा को चन्द्रमा मृगशिरा मे होने से मृगशिरा हुआ।
10 -- पौष -- अगली पूर्णिमा को चन्द्रमा पुष्य मे होने से पौष बना।
11- माघ -- अगली पूर्णिमा को चन्द्रमा मघा मे होने से माघ हुआ। 
12 -- फाल्गुन -- अगली पूर्णिमा को चन्द्रमा  पूर्वा फाल्गुनी पर  होने से फाल्गुन हुआ।
             इस प्रकार स्पष्ट है कि इन महीनों का नामकरण एक ठोस वैज्ञानिक आधार पर हुआ है।आज भी चैत्र आदि महीनो मे चित्रा आदि नक्षत्रों पर विद्यमान रहता है।अतः इसे अवैज्ञानिक अथवा कपोल कल्पना मानने का प्रश्न ही नही उठता है।

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