सम्पूर्ण प्राणि-जगत् को किसी भी प्रकार के कार्य का सम्पादन करने के लिए शक्ति की आवश्यकता होती है।शक्ति के अभाव मे कोई भी कार्य सम्भव नहीं है।शक्ति के अभाव मे तो चलना फिरना भी कठिन हो जाता है।शक्ति के बल पर ही शक्तिमान का अस्तित्व है।शक्ति न होने पर शक्तिमान कहाँ रह पायेगा।मातेश्वरी दुर्गा जी अत्यन्त दयालु एवं हम सब की शुभचिन्तक हैं।वे सम्पूर्ण प्राणियों मे शक्ति रूप मे स्थित होकर अनेक कार्यों के सम्पादन मे सहयोग देती हैं।अतः ऐसी परम करुणामयी माँ को बारंबार नमस्कार है ---
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
Saturday, 1 October 2016
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment