शक्ति के विविध स्वरूपों मे माता त्वरिता देवी का महत्व पूर्ण स्थान है।उनका स्वरूप बहुत भव्य एवं दिव्य है।वे नागों के आभूषणों से सुसज्जित रहती हैं।उनके मुखमण्डल पर तीन नेत्र सुशोभित हैं।उनके गले मे गुंजाफल का हार सुशोभित है।वे षोडश-वर्षीया बालिका-स्वरूपिणी हैं।उनके मस्तक पर मयूर-पिच्छ का मुकुट सुशोभित है।उनके हाथों मे पाश ; अंकुश ; वरद और अभय मुद्रा विराजमान है।वे पीत वर्णीय नवीन कोमल पत्तों पर निवास करने वाली हैं।वे रीछों और सिंहों के समूहों से घिरी हुई पीठ पर विराजमान हैं।ऐसे दिव्य स्वरूप वाली माता त्वरिता देवी का मै प्रतिदिन ध्यान करता हूँ ----
नागैः कल्पितभूषणां त्रिनयनां गुञ्जागुणालंकृतां
श्यामां पाशवराङ्कुशाभयवरां दोभिर्युतां बालिकाम्।
पीतां पल्लववासिनीं शिखिशिखाचूडावतंसोज्ज्वलां
ध्यायाम्यन्वहमृक्षसिंहनिवहैः पीठस्थितां सुन्दरीम्।।
Friday, 7 October 2016
त्वरिता देवी -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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