लज्जा तो मनुष्य का आभूषण है।जो व्यक्ति लज्जा का महत्त्व समझता है ; वह मर्यादाओं का पालन अवश्य करता है।केवल सामाजिक ; धार्मिक ; आध्यात्मिक आदि मर्यादाओं का पालन करने मात्र से मनुष्य पूर्ण सुखी एवं सत्कृत हो सकता है।मातेश्वरी अपनी सन्तानों से असीम प्यार करती हैं।इसीलिए वे समस्त प्राणियों मे लज्जा रूप मे स्थित हैं।अतः उन जगदम्बिका दुर्गा जी को बारंबार नमस्कार है ---
या देवी सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
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