प्राचीन भारतीय मनीषियों ने धर्म ; अर्थ ; काम और मोक्ष नामक चार पुरुषार्थों का उल्लेख किया है।संसार का प्रत्येक व्यक्ति मोक्ष प्राप्त करना चाहता है।इसके लिए नाना प्रकार के प्रयास भी करता है।परन्तु आसानी से सफलता नहीं मिल पाती है।इसीलिए श्रीदुर्गा सप्तशती मे केवल देवी जी को ही प्रसन्न करके मोक्ष प्राप्त करने का उपाय बताया गया है।देवताओं ने देवी जी की स्तुति करते समय कहा है कि हे माता तुम अनन्त बलसम्पन्न वैष्णवी शक्ति हो।तुम्हीं इस विश्व की कारणभूता परा माया हो।कारणभूता शब्द से स्पष्ट है कि इस जगत् की उत्पत्ति का प्रधान कारण तुम ही हो।तुमने ही इस जगत् को अपनी माया से मोहित कर रखा है।तुम्हीं प्रसन्न होने पर इस पृथ्वी पर मोक्ष की प्राप्ति कराती हो ---
त्वं वैष्णवी शक्तिरनन्तवीर्या
विश्वस्य बीजं परमासि माया।
सम्मोहितं देवि समस्तमेतत्
त्वं वै प्रसन्ना भुवि मुक्तिहेतुः।।
अतः स्पष्ट है कि केवल भगवती दुर्गा जी को प्रसन्न कर लिया जाय तो सभी को आसानी से मोक्ष-प्राप्ति हो सकती है।अतः हमे केवल उन्हीं को प्रसन्न करने का उपाय करना चाहिए।
Monday, 3 October 2016
त्वं वै प्रसन्ना भुवि मुक्तिहेतुः -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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