संसार के प्रत्येक प्राणी के लिए स्मृति नितान्त आवश्यक है।स्मृति के अभाव मे जीवन निर्वाह कर पाना कठिन हो जाता है।यदि किसी प्राणी को यही स्मरण नहीं रहेगा कि मैने क्या किया ? अथवा मुझे क्या करना चाहिए ? तब तो जीवन जीना कठिन हो जायेगा।ऐसी स्थिति मे प्राणी स्वयं को भी भूल जायेगा।वह संसार के सारे सम्बन्धों एवं कर्तव्यों को भी भूल जायेगा।परन्तु मातेश्वरी को अपने सभी बच्चों की चिन्ता है।वे सभी को स्मृति-सम्पन्न बनाये रखने के लिए प्राणि-मात्र मे स्मृति रूप मे स्थित हैं।अतः ऐसी परोपकारिणी माता को बारंबार नमस्कार है ---
या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
Sunday, 2 October 2016
या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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