पौराणिक मान्यता के अनुसार राजा सगर विष के साथ प्रकट हुए थे।इसीलिए उन्हें सगर कहा जाता है।सगर शब्द मे दो शब्द हैं -- स + गर।यहाँ " स " का अर्थ है -- सह = साथ। " गर " का अर्थ है -- विष।इस प्रकार सगर = गरेण सह -- अर्थात् विष के साथ।यद्यपि सुनने मे तो यह घटना बहुत आश्चर्य जनक प्रतीत होती है।परन्तु घटना सत्य एवं प्रामाणिक है।इस विषय मे कई पुराणों मे आख्यान उपलब्ध हैं।
ब्रह्मपुराण के अनुसार सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र के वंश मे " बाहु " नामक एक प्रसिद्ध राजा हुए।वे बहुत व्यसनी थे।उनकी इसी दुष्प्रवृत्ति का लाभ उठाकर हैहय नामक क्षत्रियों ने उन्हें पराजित कर उनका राज्य छीन लिया।इस घटना से राजा बाहु बहुत दुःखी हुए।वे अपनी पत्नी के साथ वन मे चले गये।राज्य-च्युत हो जाने के कारण वे सदैव दुःखी और चिन्तित रहते थे।अत्यधिक दुःख के कारण राजा बाहु ने वन मे ही अपने प्राण त्याग दिये।राजा की मृत्यु के समय उनकी पत्नी " यादवी " गर्भवती थी।वे भी अपने पति के साथ चितारोहण करने के लिए उद्यत हुईं।संयोगवश रानी को उनकी सौत ने पहले से ही विष दे रखा था।
रानी यादवी ने चिता बनाई और अपने पति का शव लेकर उस पर आरूढ़ हो गयीं।उसी समय वहाँ और्वमुनि आ गये।रानी की दशा को देखकर कर मुनि को दया आ गयी।उन्होंने रानी को चिता मे भस्म होने से रोक दिया।रानी ने मुनिवर की बात मानकर भस्म होने का विचार त्याग दिया। मे और्वमुनि के आश्रम मे आ गयीं।वहीं पर वह गर्भ विष के साथ प्रकट हुआ।वही नवजात शिशु सगर कहलाया।ये सगर वही प्रसिद्ध राजा थे ; जिनके साठ हजार पुत्र कपिल मुनि के शाप से भस्म हो गये थे।बाद मे इन्हीं के वंशज भगीरथ जी ने गंगा जी को पृथ्वी पर लाने का महनीय कार्य किया था।
Thursday, 13 October 2016
राजा सगर की उत्पत्ति -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment