संसार के समस्त सम्बन्धियों मे माता का स्थान सर्वोपरि है।विश्व मे कोई भी ऐसा सम्बन्धी ; देवी ; देवता आदि नहीं है ; जो माता के सम्बन्ध की बराबरी कर सके।माता ही अपनी सन्तानों के लिए सर्वश्रेष्ठ रक्षक है।अन्य लोग तो बुलाने पर आयेंगे किन्तु माता तो प्रत्येक पल रक्षण हेतु तत्पर रहती है।उसके समान कोई आश्रय भी नहीं होता है।माता का स्नेह भी सर्वोपरि एवं अनुपमेय होता है।अपनी सन्तानों के लिए उसके हृदय मे स्नेह-सरिता सदैव प्रवाहित होती रहती है।माता की गोद मे जो सुख मिलता है ; वह अन्यत्र संभव ही नहीं है।इतना ही नहीं बल्कि लोक परलोक कहीं भी माता के समान कोई देवता नहीं है ----
नास्ति मातृसमो नाथो नास्ति मातृसमा गतिः।
नास्ति मातृसमा स्नेहो नास्ति मातृसमं सुखम्।।
नास्ति मातृसमो देव इहलोके परत्र च।
( पद्मपु0; सृष्टि 0 ;18/353)
Thursday, 20 October 2016
सर्वपूज्या माता -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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