Wednesday, 5 October 2016

मातेश्वरी दुर्गा देवी -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

           आद्या भगवती दुर्गा देवी अत्यन्त दयालु ; भक्तवत्सला एवं दुर्गतिनाशिनी हैं।उनका स्वरूप अत्यन्त दिव्य ; भव्य एवं प्रभावशाली है।उनके श्रीअंगों की प्रभा बिजली के समान देदीप्यमान है।जिस प्रकार बिजली स्वर्णिम एवं रक्तपीत वर्णीय होती है।उसी प्रकार माता जी का शरीर भी स्वर्णिम रक्ताभ है।उनके मुखमण्डल पर तीन नेत्र विराजमान हैं।यद्यपि वे परम दयालु हैं किन्तु सिंह के कन्धे पर विराजमान होने के कारण दुष्टों के लिए बहुत भयंकर प्रतीत होती हैं।उन्हें देखते ही दुष्ट समुदाय पलायित हो जाता है।वे अपने हाथों मे चक्र ; गदा ; तलवार ; ढाल ; धनुष ; बाण ; पाश और तर्जनी-मुद्रा धारण किये हुए हैं।उनका स्वरूप अग्निमय है।हाथों मे ढाल और तलवार लिए हुए अनेक कन्यायें उनकी सेवा मे सदैव खड़ी रहती हैं।उनके माथे पर चन्द्रमा का मुकुट विराजमान है।मै इस प्रकार के दिव्य स्वरूप वाली मातेश्वरी दुर्गा का निरन्तर ध्यान करता हूँ ---
ऊँ विद्युद्दामसमप्रभां मृगपतिस्कन्धस्थितां भीषणां
कन्याभिः करवालखेटविलसद्धस्ताभिरासेविताम्।
हस्तैश्चक्रगदासिखेटविशिखांश्चापं गुणं तर्जनीं
बिभ्राणामनलात्मिकां शशिधरां दुर्गां त्रिनेत्रां भजे।।

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