Tuesday, 4 October 2016

मातंगी देवी -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

           मातेश्वरी मातंगी देवी का स्वरूप बहुत सुन्दर एवं मनभावन है।उनका शरीर सुन्दर श्यामवर्णीय है।उन्होंने लाल रंग की सुन्दर साड़ी धारण कर रखा है।इससे उनके शरीर की आभा और अधिक बढ़ गयी है।उनके अंग मे कसी हुई चोली सुशोभित हो रही है।उनके ललाट पर सुन्दर बेंदी सुशोभित हो रही है। वे रत्नजटित सिंहासन पर विराजमान हैं।उनका एक पैर कमल पर रखा हुआ है।उनके मस्तक पर अर्ध चन्द्र सुशोभित हो रहा है।वे कह्लार-पुष्पों की माला धारण किये हुए वीणा बजाती रहती हैं।वे अपने हाथ मे शंखमय पात्र लिए हुए हैं।उनके वदन पर मधु का हलका-हलका प्रभाव प्रतीत हो रहा है।वे सिंहासन पर बैठकर पढ़ते हुए तोते का मधुर शब्द सुन रही हैं।ऐसी दिव्य स्वरूप वाली मातंगी देवी का मै ध्यान कर रहा हूँ ----
ऊँ ध्यायेयं रत्नपीठे शुककलपठिते शृण्वतीं श्यामलाङ्गीं
न्यस्तैकाङ्घ्रिं सरोजे शशिशकलधरां वल्लकीं वादयन्तीम्।
कह्लाराबद्धमालां नियमितविलसच्चोलिकां रक्तवस्त्रां
मातङ्गीं शङ्खपात्रां मधुरमधुमदां चित्रकोद्भासिभालाम्।।

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