श्रीदुर्गा सप्तशती मे माता पद्मावती देवी का जो स्वरूप एवं प्रभाव वर्णित है ; वह बहुत सुन्दर ; महिमामय एवं चित्ताकर्षक है।वे परमोत्कृष्ट परमाराध्या देवी हैं।वे सर्वज्ञेश्वर भैरव जी के अंक मे निवास करती हैं।वे नागराज के आसन पर विराजमान हैं।ऐसी स्थिति मे नागराज के फणों मे जो मणियाँ हैं ; वे एक विशाल माला के रूप मे सुशोभित हैं।उन मणियों की माला से माता पद्मावती की देहलता अत्यधिक उद्भासित हो रही है।देवी जी का तेज सूर्य के समान अत्यन्त प्रखर है।उनके सुन्दर तीनो नेत्र उनके मुखमण्डल की शोभा को द्विगुणित कर रहे हैं।उनके मस्तक पर अर्धचन्द्र का मुकुट सुशोभित हो रहा है।उनके हाथों मे माला ; कुम्भ ; कपाल और कमल विराजमान है।ऐसे दिव्य स्वरूप वाली माता पद्मावती देवी का मै चिन्तन करता हूँ ----
ऊँ नागाधीश्वरविष्टरां फणिफणोत्तंसोरुरत्नावली-
भास्वद्देहलतां दिवाकरनिभां नेत्रत्रयोद्भासिताम्।
मालाकुम्भकपालनीरजकरां चन्द्रार्धचूडां परां
सर्वज्ञेश्वरभैरवाङ्कनिलयां पद्मावतीं चिन्तये।।
Tuesday, 4 October 2016
माता पद्मावती -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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