Saturday, 1 October 2016

या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता --- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

         भूख प्यास प्राणी की मूल प्रवृत्ति है।प्रत्येक प्राणी को जीवन यापन करने के लिए पानी की आवश्यकता पड़ती है।अन्न का तो विकल्प फल फूल आदि हो सकता है किन्तु पानी का विकल्प कठिन है।पानी के अभाव मे जीवन चलना कठिन है।अथवा यह कहा जा सकता है कि पानी ही जीवन है।परन्तु बिना प्यास लगे पानी पी पाना कठिन है।अतः मातेश्वरी समस्त प्राणियों मे तृष्णा रूप मे स्थित होकर प्राणि जगत् का कल्याण करती हैं।अतः ऐसी दयालु माँ को बारंबार नमन है ---
   या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता।
   नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

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