जीवन मे शान्ति का सर्वाधिक महत्त्व है।शान्ति के अभाव मे सम्पूर्ण समृद्धि व्यर्थ है।आजकल इस भौतिकतावादी युग मे मनुष्य के पास हर प्रकार की सुविधा सुलभ है किन्तु शान्ति की कमी सदैव खटकती रहती है।किसी के मन मस्तिष्क मे शान्ति एवं सन्तोष नहीं है।प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी समस्या से ग्रसित होने के कारण अशान्त एवं परेशान है।यद्यपि इस समय सुख सुविधा के असंख्य साधन उपलब्ध हैं।फिर भी मनुष्य सुखी नहीं है।सच्चे सुख की अनुभूति तभी होती है ; जब मन मे शान्ति विद्यमान हो।मातेश्वरी दुर्गा जी प्राणि-मात्र के इसी कष्ट को दूर करने के लिए सब प्राणियों मे शान्ति रूप मे स्थित हैं।अतः उन शान्ति स्वरूपिणी जगदम्बा को बारंबार नमस्कार है ----
या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
Sunday, 2 October 2016
या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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