किसी भी कार्य मे परिश्रम लगन आदि के साथ श्रद्धा भी आवश्यक होती है।धार्मिक कार्यों मे तो श्रद्धा ही सब कुछ है।पूजा पाठ जप तप यज्ञ अनुष्ठान आदि मे श्रद्धा नितान्त आवश्यक है।श्रद्धा के अभाव मे सब व्यर्थ का दिखावा मात्र रह जाता है।जिस पूजा पाठ मे जितनी अधिक श्रद्धा होगी ; फल भी उतना ही निश्चित रहता है।यदि पूर्ण मनोयोग एवं श्रद्धा पूर्वक जप तप किया जाय तो फल निश्चित रूप से प्राप्त होता है।मातेश्वरी अपनी सन्तानों मे श्रद्धा भाव को बनाये रखने के लिए प्राणि-मात्र मे श्रद्धा रूप मे स्थित हैं।इसमे उनका उद्देश्य यही है कि मेरी सन्तानों मे श्रद्धा का अभाव न होने पाये।अतः उन परम दयालु जगदम्बा को बारंबार नमस्कार है ----
या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
Sunday, 2 October 2016
या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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