Saturday, 22 October 2016

सूर्यदेव का सनातन स्तोत्र -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

          सूर्यदेव प्रत्यक्ष देवता हैं।इनकी उपासना-वन्दना करना प्रत्येक व्यक्ति का परम धर्म है।शास्त्रों मे सूर्यदेव की स्तुति करने के लिए अनेक स्तोत्र उपलब्ध हैं किन्तु ब्रह्मपुराणोक्त ( 31/31-33 ) उनका सनातन स्तोत्र बहुत कल्याणकारी है।जो व्यक्ति इस स्तोत्र का एक बार पाठ कर ले ; उसे सूर्य-सहस्र-नाम पढ़ने की आवश्यकता नहीं होती है।
         यह स्तोत्र बहुत पुण्यदायक एवं प्रभावशाली है।इसका पाठ करने से मनुष्य सदैव नीरोग ; धनी और यशस्वी बना रहता है।सूर्यदेव के उदय एवं अस्तकाल मे इसका पाठ करने से मनुष्य पापमुक्त हो जाता है।उसके कायिक ; वाचिक ; मानसिक आदि सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।अतः सभी लोगों को इस सर्वफलदायी स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए।यह स्तोत्र इस प्रकार है ---
   विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
   लोकप्रकाशकः श्रीमाँल्लोकचक्षुर्महेश्वरः।।
   लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।
   तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः।।
   गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः।
   एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा रवेः।।
  

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