Saturday, 8 October 2016

माता महाकाली जी -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

          आद्या भगवती शक्ति के विविध स्वरूपों मे माता महाकाली का स्वरूप अत्यन्त विलक्षण है।उनके शरीर की कान्ति नीले अंजन के समान है।उनके दस पैर ; दस मुख और तीन नेत्र हैं।उनका शरीर नाना प्रकार के आभूषणों से सुसज्जित है।उन्होंने अपने हाथों मे खड्ग ; चक्र ; गदा ; बाण ; धनुष ; परिघ ; शूल ; भुशुण्डि ; कपाल तथा शंख धारण कर रखा है।उनका स्तवन सर्वप्रथम ब्रह्मा जी ने मधु और कैटभ नामक दैत्यों का संहार करने के लिया किया था।अब मै भी उन्हीं महिमामयी भगवती महाकाली की आराधना करता हूँ ---
   खड्गचक्रगदाबाणचापानि परिघं तथा।
   शूलं भुशुण्डीं च शिरः शंखं सन्दधतीं करैः।।
   महाकालीं त्रिनयनां नानाभूषणभूषिताम्।
   नीलाञ्जनसमप्रख्यां दशपादाननां भजे।।
   मधुकैटभनाशार्थं यां तुष्टावाम्बुजासनः।
   एवं ध्यायेन्महाकालीं कामबीजस्वरूपिणीम्।।

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