आद्या भगवती दुर्गा के किसी न किसी स्वरूप का पूजन नित्य करना चाहिए।विशेषकर नवरात्र के समय तो इनका पूजन अनिवार्य ही है।धूप ; दीप ; नैवेद्य आदि से इनका पूजन अवश्य करना चाहिए।इस अवसर पर कन्यापूजन भी अनिवार्य है।पूजनोपरान्त दान आदि भी करना चाहिए।इसमे तनिक भी कृपणता नहीं करनी चाहिए।जो व्यक्ति नवरात्र मे देवीपूजन नहीं करते हैं ; वे नरक के भागी होते हैं।उन्हें नाना प्रकार के रोगों से दुःख होता है।इतना ही नहीं बल्कि वे दुःखी ; शत्रुओं द्वारा पराजित ; स्त्री-पुत्र से हीन ; तृष्णाग्रस्त एवं बुद्धिभ्रष्ट हो जाते हैं।
देवीपूजन करने वाले वक्ति सदैव सुखी एवं सम्पन्न रहते हैं।उन्हें इहलोक मे सब प्रकार के धन और वैभव प्राप्त होते हैं।देवी-पूजक व्यक्ति हर प्रकार के सद्गुणों से युक्त ; माननीय ; विद्वान और राजमान्य बन जाता है।उसे जीवन मे किसी प्रकार का अभाव नहीं रहता है।वह सभी प्रकार के मनोभिलषित भोगों को प्राप्त कर लेता है।वह यावज्जीवन सुखमय जीवन व्यतीत करके अन्त मे देवी-सायुज्य को प्राप्त कर लेता है।अतः प्रत्येक आस्तिक व्यक्ति को चाहिए कि वह पूर्ण श्रद्धा भक्ति के साथ देवी-पूजन अवश्य करे।
Sunday, 9 October 2016
देवीपूजन की अनिवार्यता -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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