अवन्यम्बा दुर्गा जी आदिशक्ति हैं।वेदों और शास्त्रों मे आद्या भगवती के रूप मे इन्हीं का गुणगान किया गया है।वेदों को विश्व का प्राचीनतम साहित्य होने का गौरव प्राप्त है।उस साहित्य मे भगवती का बारंबार उल्लेख हुआ है।प्रायः सभी विद्याओं मे उनका गौरवपूर्ण चरित्र वर्णित है।वे ज्ञानस्वरूपिणी हैं।वे माया और ममता भी हैं।वे अपनी माया के द्वारा इस विश्व को अज्ञानमय घोर अन्धकार से परिपूर्ण ममता रूपी गड्ढे मे निरन्तर भटकाती रहती हैं।अतः जिसे उस महा मोह के दलदल से निकलना हो ; उसे जगदम्बा दुर्गा की उपासना अवश्य करनी चाहिए।उनकी उपासना से मनुष्य की सम्पूर्ण अज्ञानराशि नष्ट हो जायेगी।उसे दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हो जायेगी।इसके माध्यम से वह परम पद का भागी बन जायेगा ---
विद्यासु शास्त्रेषु विवेकदीपे--
ष्वाद्येषु वाक्येषु च का त्वदन्या।
ममत्वगर्तेऽतिमहान्धकारे
विभ्रामयत्येतदतीव विश्वम्।।
Wednesday, 5 October 2016
अग्रवर्ण्या दुर्गा जी -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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