Friday, 7 October 2016

अतुलनीय दुर्गा देवी -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

           मातेश्वरी दुर्गा जी प्रत्येक दृष्टि से अतुलनीय हैं।उनका स्वरूप इतना अद्भुत है कि वह किसी प्राणी के चिन्तन मे ही नहीं आ सकता है।उनका स्वरूप अकल्पनीय एवं अवर्णनीय है।उस दिव्य स्वरूप की तुलना किसी दूसरे से नहीं की जा सकती है।उन्होंने तो उन दैत्यों का भी विनाश कर दिया है ; जो देवताओं के लिए भी अजेय माने जाते थे।जिन दैत्यों ने देवताओं को पराजित करके इन्द्रलोक पर भी अधिकार कर लिया था ; उन्हें भी भगवती दुर्गा जी ने
नष्ट कर दिया है।दुराचारियों के दुराचारों का शमन करना ही उनका स्वभाव है।यद्यपि उन्होंने अनेक दुराचारियों और दैत्यों का संहार किया है फिर भी एक प्रकार से उन दया ही दिखाई है।क्योंकि उनके हाथों से जिनका संहार होता है ; उनका उद्धार भी हो जाता है।इसलिए यह उनकी दयालुता ही है ---
   दुर्वृत्तवृत्तशमनं तव देवि शीलं
          रूपं तथैतदविचिन्त्यमतुल्यमन्यैः।
   वीर्यं च हन्तृ हृतदेवपराक्रमाणां
           वैरिष्वपि प्रकटितैव दया त्वयेत्थम्।।

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