शक्ति के विभिन्न स्वरूपों मे माता सर्वमङ्गला देवी का महत्त्व पूर्ण स्थान है।उनका स्वरूप बहुत सुन्दर एवं मनभावन है।उनके शरीर की कान्ति स्वर्ण के समान रक्तपीत वर्णीय है।उनके नेत्रों मे करुणा का अगाध सागर लहराता रहता है।उनका अंग-प्रत्यंग मणिमय आभूषणों से सुसज्जित है।वे कभी बत्तीस दल वाले ; कभी षोडश दल वाले और कभी अष्टदल कमल पर विराजमान रहती हैं।उनका मुखमण्डल सुन्दर मुसकान से सुशोभित रहता है।वे अपने भक्तों को मनोवाँछित मात्रा मे धन प्रदान करती रहती हैं।उनके वाम हस्त मे वरदमुद्रा सुशोभित है ; जिससे अपने भक्तों को मनोवाँछित वर प्रदान करती हैं।उनके दक्षिण हस्त मे अभय मुद्रा एवं बिजौरा नीबू का फल सुशोभित है।ऐसा दिव्य स्वरूप धारण करने वाली माता सर्वमङ्गला देवी की मै सदैव भावना करता हूँ ----
हेमाभां करुणाभिपूर्णनयनां माणिक्यभूषोज्ज्वलां
द्वात्रिंशद्दलषोडशाष्टदलयुक्पद्मस्थितां सुस्मिताम्।
भक्तानां धनदां वरं च दधतीं वामेन हस्तेन तद्
दक्षेणाभयमातुलुङ्गसुफलं श्रीमङ्गलां भावये।।
Thursday, 6 October 2016
माता सर्वमङ्गला देवी -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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