श्रीमार्कण्डेय पुराण मे वर्णित माता कामेश्वरी का स्वरूप बहुत मनभावन एवं हृदयाकर्षक है।उनके मस्तक पर सुन्दर अर्ध चन्द्र सुशोभित है।उनका शरीर तपाये हुए सुवर्ण के समान अत्यन्त सुन्दर एवं देदीप्यमान है।उनके मुखमण्डल पर जो तीन नेत्र हैं ; वे सूर्य ; चन्द्र एवं अग्नि ही हैं।उन्होंने अपने मनोहर हाथों मे धनुष-बाण ; अंकुश ; पाश और शूल धारण कर रखा है।अतः ऐसी शिवशक्ति-स्वरूपा भगवती कामेश्वरी का मै हृदय से चिन्तन करता हूँ ----
ऊँ उत्तप्तहेमरुचिरां रविचन्द्रवह्नि--
नेत्रां धनुश्शरयुताङ्कुशपाशशूलम्।
रम्यैर्भुजैश्च दधतीं शिवशक्तिरूपां
कामेश्वरीं हृदि भजामि धृतेन्दुलेखाम्।।
Wednesday, 5 October 2016
माता कामेश्वरी -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment