Saturday, 1 October 2016

या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

           दया ; धैर्य ;आदि मानव के श्रेष्ठ गुणों मे क्षमा की सर्वाधिक महत्ता है।इसे दशविध धर्म-लक्षणों मे परिगणित किया गया है।क्षमाशील मनुष्य का सम्मान सर्वत्र होता है।इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को क्षमाशील होना चाहिए।इस महान गुण की अभिवृद्धि करने के लिए जगदम्बा जी समस्त प्राणियों मे क्षान्ति ( क्षमा ) रूप मे स्थित हैं।अतः उन भगवती दुर्गा को बारंबार नमस्कार है ----
   या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता।
   नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
         यहाँ यह भी स्पष्ट है कि जिन्हें अपने अन्दर क्षमा गुण की अभिवृद्धि करनी हो ; उन्हें दुर्गा देवी की उपासना अवश्य करनी चाहिए।अन्य उपायों की अपेक्षा यह उपाय अधिक सरल है।

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