Monday, 24 October 2016

सूर्योपासना -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

          सूर्यदेव प्रत्यक्ष देवता हैं।उनके अस्तित्व के विषय मे किसी भी प्रकार का सन्देह अथवा ऊहापोह का प्रश्न ही नहीं उठता है।अतः ऐसे सर्व-शक्तिमान प्रत्यक्ष देवता की उपासना अवश्य करनी चाहिए।उनके स्तवन ; जप ; व्रत ; उपहार-समर्पण ; पूजन ; भजन आदि से मनुष्य समस्त पापों से मुक्त हो जाता है।पृथ्वी पर मस्तक रखकर सूर्यदेव को प्रणाम करने से मनुष्य तत्काल पापमुक्त हो जाता है।इसमे तनिक भी सन्देह नहीं है।जो व्यक्ति श्रद्धा-भक्ति पूर्वक भगवान सूर्य नारायण की परिक्रमा करता है ; उसे सातों द्वीपों सहित सम्पूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा का फल प्राप्त हो जाता है।जो व्यक्ति सूर्यदेव को अपने हृदय मे धारण करके केवल आकाश की परिक्रमा करता है ; उसके द्वारा समस्त देवताओं की परिक्रमा सम्पन्न हो जाती है ---
   सूर्यं मनसि यः कृत्वा कुर्याद् व्योमप्रदक्षिणाम्।
   प्रदक्षिणीकृतास्तेन सर्वे देवा भवन्ति हि।।

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