संसार की प्रत्येक वस्तु के कई पर्यायवाची शब्द होते हैं।बादल के भी अनेक पर्याय हैं।उन्हीं मे " अभ्र " भी है।वस्तुतः भगवान सूर्यदेव आठ महीने तक अपनी किरणों द्वारा रसात्मक जल का संग्रह करते हैं।फिर उसी को वर्षा ऋतु मे बरसात के रूप मे परिणत कर देते हैं।बादल की सृष्टि मे धूम्र ; अग्नि ; वायु और जल का योग रहता है।बादलों मे स्थापित किया गया जल कभी अपभ्रष्ट नहीं होता है।इसीलिए बादलों को " अभ्र " कहा जाता है।
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